Content is more important or Marketing of content (कंटेंट vs मार्केटिंग)




बचपन से एक कहावत सुनता आ रहा हूं अकेला चना कभी भाड़ नही फोरता। कहने का तात्पर्य है कि एक अकेला इंसान किसी काम की शुरुआत तो कर सकता है पर उसे आखरी अंजाम तक पहुचाने के लिए कई लोगों की मदद लेनी ही पड़ती है क्योंकि हर इंसान हर काम को उस expertise के साथ नही कर सकता जो एक individual expert कर सकता है। अब मांझी से अच्छा example हमे कहाँ मिलेगा । Life में सिर्फ एक ही project की शुरुआत कर पाया, उसके काम से सबने फायदा उठाया पर वो उस काम को अंजाम पहुचाने से पहले उसके घर परिवार बच्चे की हालात पर एक नज़र जरूर डाल लेना। ऐसा नही है कि उसने मदद की गुहार नही लगाई पर, पर दुनिया उसकी ही सुनता है जिसके पास जनता है। Lack of skills, Lack of presentation techniques, lack of marketing strategies. काम तो वो बहुत ही अच्छा कर रहा था और उसके project का content (~idea/goal) भी बहुत strong था। पर क्या हुआ उसका सब जानते है उसका struggle। इतना मेहनती इंसान सिर्फ़ एक ही काम कर पाया क्यूँकि वो अकेला था, अगर वो कयी लोगों को जोड़ पाता तो देश हित में शायद अनेको काम और कर पाता। ऐसे लोगों की हर देश को लाखों की संख्या में ज़रूरत रहती है।



अब बात चाहे किसी भी field की करलो, किसी भी विषय की करलो, Technology की करलो या किसी creativity या Arts की करलो, content के दम पर approach तो किया जा सकता है पर impress करना बहुत ही मुश्किल है। हाँ अगर content / idea सही इंसान या audience के समक्ष प्रस्तुत किया गया हो तो पहला पड़ाव तो फिर भी पार किया जा सकता है पर उसकी पहुँच को सीमित रहना पड़ेगा। Documentaries की हालत भी कुछ वैसी ही है क्योंकि content / idea को generate करने के लिए भी काफी समय और पैसों की जरूरत पड़ती है। तो कहने का मतलब है कि सारी बात presentation पर हु आकर अटक जाती है। चाहे वो खाने का presentation हो या किसी और विषय का अगर उसे सही तरीके से सही इंसान के सामने न परोसा गया तो कोई भी उसमे न interest दिखायेगा taste तो बाद कि बाद है। बाकी आप खुद अनुमान लगा सकते है, समझदार को इशारा ही काफी होता है।

अब sales और marketing strategies apply  तो हर subject में होता हैै। आज हम Media  industry को  लेकर थोड़ी टिप्पणी कर लेते है जो कि आज भी एक सबसे बड़ा unorganised  sector का part है। Organised industry में फिर भी एक आस हैथोड़ी stability तो है पर growth वहाँ भी limited है। 

Media industry में लाखों की संख्या में लोग काम करते है। हर साल लाखों की संख्या में students भी produced किये जा रहे हैं, पर media organisation, press, news channels, entertainment channels, Production houses इत्यादि जैसे organisations बहुत ही limited है। क्या लगता है क्या भविष्य होने वाला है लाखों पढ़े लिखे trained youth का। ऐसा ही situation अब तो हर field में हो गया है। मतलब की ये कहना गलत नही होगा कि लाखों रुपये खर्च कर हम बेरोजगारी और मजदूरी ही promote कर रहे है। यह अब इतना बढ़ चुका है कि हमे दूसरे देशों को export  और migration कराना पड़ रहा है।

Negative ख्याल mind में न लाये, इसका कारण आपका देश या सरकार नही है। यह हम है जो समझ ही नही पा रहे हैं कि इसका solution भी हमारे पास ही है। हम job पर जाते ही जितनी मेहनत और loyal होकर  उस company को बढ़ाने के लिए काम करते है वही dedication और loyalty हम खुद के बढ़ोतरी के लिए या अपने परिवार के लिए करते ही नही, कारण single field expertise. 

जाने कितने script writers, creative, technicians आदि media industry में भरे पड़े हैं। पर हर कोई इसे माया नगरी (~industry) से संबोधित कर struggle और compromise किये जा रहे हैं। दूर तक कोई permanant solution दिखाई तक न पड़ रही है। जो अभी intern या trainee है उनका तो समझ मे आता है पर जो इतने सालों से काम कर रहे हैं लाखों में कमा भी रहे है वो भी unsatisfied क्यू है? गिने चुने कुछ लोगों की सफलता और चमक धमक देख कर लगे पड़े हैं। अपना time आएगा अपना time आयेगा! अरे घंटा आएगा! 

दुनिया मे जहां Problem है वहां उसका solution भी है पर कुए के पास आज तक प्यासा ही गया है कुआ कभी प्यासे के पास नही आया है। chetan bhagat से लाख गुना अच्छे writers घर बैठे है जिंदगी से struggle कर रहे हैं पर अपने talent & creativity को present नही कर पा रहे है encash नही कर पा रहे है और यही हाल लगभग हर department का हो गया है। इसके लिए marketing और sales skills होना आज के ज़माने में में अनिवार्य हो गया है। आज investment, fundraising के कई option खुल चुके हैं। social media ने सबको connect करने का पूरा platform दे रखा है। जो इस industry में थोड़ी भी success पा रहे है वह वहां तक पहुचने के struggle को भली भांति समझ रहे है और mangement स्किल्स और team के साथ Producer भी बनाते जा रहे है और कई लोगों की help भी जार रहे हैं। पर लोग है कि आलस्य को छोड़ कर न यह techniques सीखना चाहते है और न ही एक कदम आगे बढ़ कर कुछ अलग करना चाहते है। बस बैठे है भगवान के भरोसे पर किसको क्या पता भगवान हमारे आपके भरोसे बैठा हो।

Transform yourself from Media Professional to Mediapreneur & opt for early success & retirement in Life.

जरूरत है Media Professional को Mediapreneur बनने की और success को जल्द पाकर जल्द retirement लेने की।

Best of luck for your career & new transformation for a healthy wealthy lifestyle.

Thanks for showing your interest & investing your time on some learnings.

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